जीवन ज्योत जलाओ साथियों,
आत्म प्रकाश के बुझे दीये को,
फिर से राह दिखाओ साथियों,
जीवन ज्योत जलाओ।।
पंचतत्व के इस प्रांगण में,
क्रोध की ज्वाला धधक रही है,
मन मंदिर में प्रेम भाव की,
वह कली जो महक रही है,
प्रेम मेह की वृष्टि करा कर,
कली को फूल बनाओ साथियों ।
जीवन ज्योत जलाओ साथियों ।
जीवन ज्योत जलाओ।।
मानस पटल पर यह अज्ञान,
तमस क्यों झलक रही है,
ज्ञान दीप को प्रज्वलित करने,
वह बाती जो दहक रही है,
ज्ञान प्रज्ञा को जगा कर,
मन को निर्मल बनाओ साथियों।
जीवन ज्योत जलाओ साथियों ।
जीवन ज्योत जलाओ।।
जयश्री खांडेकर मोघे
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Thanks 😊🙏
Thank u 😊🙏
खूप खूप धन्यवाद नवीन जी😊🙏
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Nice lines…
खूप मस्त